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दड़िभङ्गा

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दड़िभङ्गा
Darbhanga ,دربھنگہ दरभंगा
शहर
दड़िभङ्गाक धरोहरसभ
दड़िभङ्गाक धरोहरसभ
उपनाम: 
बिहारक सांस्कृतिक राजधानी
देशभारत
राज्यबिहार
जिलादड़िभङ्गा
उन्नतांश
५२ मिटर (१७१ फिट)
जनसङ्ख्या
 (२०११)
 • कुल३,०६,०८९
भाषा
 • आधिकारिकमैथिली
समय क्षेत्रयुटिसी+५:३० (भारतीय मानक समय)
डाक पिन कोड
८४६०xx
टेलिफोन कोड०६२७२
सवारी दर्ताBR 07
लिङ्ग अनुपात९१०:१००० /
लोक सभा संसदीय क्षेत्रदड़िभङ्गा
विधान सभा संसदीय क्षेत्रदड़िभङ्गा, दड़िभङ्गा ग्रामीण
वेबसाइटdarbhanga.bih.nic.in

दड़िभङ्गा बिहार राज्यक एक शहर आ नगर निगम छी । ई दड़िभङ्गा जिलादड़िभङ्गा क्षेत्रक मुख्यालय छी ।

नामाकरण

दड़िभङ्गा शब्द संस्कृत भाषाक शब्द द्वार-बङ्ग अथवा फारसी भाषाक दर-ए-बङ्ग मतलब बङ्गालक दरवाजाके मैथिली भाषामे कतेको वर्ष सँ चलवाक स्थानीयकरण प्रमाण अछि । एहनो कहल जाइत अछि कि मुगल कालमे दरभङ्गी खान शहरक स्थापना केने छल । मुदा किछु लोक अहिं बातक खण्डन करैत अछि आओर मानैत अछि की दरभङ्गी खान मुगल कालमे विकसित दड़िभङ्गा शहरके कोनो व्यपारी रहल होइत ।

इतिहास

वैदिक स्रोतसभके मुताबिक आर्य सबहक विदेह शाखा आगिक संरक्षणमे सरस्वती तट सँ पूबमे सदानीरा (गण्डक)के आओर कूच केलथि आओर विदेह राज्यक स्थापना केलथि । विदेहके राजा मिथि के नाम पर ई प्रदेश मिथिला कहायल । रामायणकालमे मिथिलाके राजा जनक कहायत छल, सिरध्वज जनकऽक पुत्री सीता छलीह ।[१] विदेह राज्यक अन्त भेला पर ई प्रदेश वैशाली गणराज्यके नाम सँ जानल जाइ लागल । एकर बाद ई मगधके मौर्य, शुङ्ग, कण्व आओर गुप्त शासकसभक गुलाम बनल रहल । १३अम सदीमे पश्चिम बङ्गालक मुसलमान शासक हाजी शम्सुद्दीन इलियासक समय मिथिला एवं तिरहुत क्षेत्रक बँटवारा भऽ गेल । उत्तरी भाग जकर अन्तर्गत मधुबनी, दरभङ्गा आ समस्तीपुरक उत्तरी हिस्सा आबैत छल, सुगौनाके ओईनवार राजा कामेश्वर सिंहके हिस्सामे अबैत छल । ओईनवार राजा सबके कला, संस्कृति आ साहित्यके बढ़ावा दिअ लेल जानल जाइत अछि । कुमारिल भट्ट, मण्डन मिश्र, गदाधर पण्डित, शंकर, वाचास्पति मिश्र, विद्यापति, नागार्जुन आदि महान विद्वानके लेखन सँ अहि क्षेत्रके प्रसिद्धि भेटलय । ओईनवार राजा शिवसिंहके पिता देवसिंह लहेरियासराय लग देवकुलीके स्थापना केलथि (वर्तमानमे देकुली नाम सँ जानल जाइत अछि)। शिवसिंहके बाद एतय पद्मसिंह, हरिसिंह, नरसिंहदेव, धीरसिंह, भैरवसिंह, रामभद्र, लक्ष्मीनाथ, कामसनारायण राजा भेला । शिवसिंह तथा भैरवसिंहद्वारा जारी कएल गेल सोना आओर चाँदीके सिक्का एतयके इतिहास ज्ञानक स्रोत अछि। दरभङ्गा शहर १६अम सदीमे दरभङ्गा राजक राजधानी छल । १८४५ इस्वीमे ब्रिटिश सरकार दरभङ्गा सदरके अनुमण्डल बनेलक आओर १८६४ ईस्वीमे दरभङ्गा शहर नगर निकाय बनायल गेल ।[२] १८७५ मे स्वतन्त्र जिला बनए तक ई तिरहुतके संग छल । सन् १९०८ मे तिरहुतके प्रमण्डल बनला पर एकरा पटना प्रमण्डलसँ हटाकऽ तिरहुतमे शामिल कऽ देल गेल । स्वतन्त्रताके पश्चात १९७२ मे दरभङ्गाके प्रमण्डलक दर्जा दऽ कऽ मधुबनी आओर समस्तीपुरके अहिंके अन्तर्गत राखल गेल ।

भौगोलिक स्थिति

दरभङ्गा जिलाऽक कुल क्षेत्रफल २,२७९ वर्ग किमी अछि । समूचा जिला एगो समतल उपजाऊ क्षेत्र अछि जतय कोनो चिह्नित वनप्रदेश नहि अछि । जिलामे हिमालयसँ आबय वाली नित्यवाही आओर बरसाती नदी सबहक जाल अछि । कमला, बागमती, कोशी, करेह आओर अधवारा समूहक नदिसभसँ उत्पन्न बाढ़ि प्रत्येक वर्ष लाखसँ बेसी लोगक लेल तबाही लाबैत अछि[३] औसत सालाना ११४२ मिमी वर्षाक अधिकांश मनसुनसँ भेटैत अछि । दरभङ्गा जिलाक आमतौर पर निम्न चारि गो क्षेत्रमे बाँटल गेल अछि:

  • घनश्यामपुर, बिरौल तथा कुशेश्वरस्थान प्रखण्डमे कोशीकेद्वारा जमा कएल गेल गाद क्षेत्र जतय दलदली भाग भेटैत अछि ।
  • बूढ़ी गण्डकके दक्षिणक ऊँच तथा उपजाऊ भूक्षेत्र जतय रबीक खेती कएल जाइत अछि ।
  • बूढ़ी गण्डकक आओर बागमतीके बीचक दोआब क्षेत्र जे नीचा आओर दलदली अछि । एतय २९,७०६ हेक्टेयर भूमि चौरक क्षेत्र अछि ।
  • सदर क्षेत्र जे ऊँच अछि 

जनसाङ्ख्यिकी

सन् २०११ के भारतीय जनगणनाके अनुसार अहि जिलाक कुल जनसङ्ख्या ३२,८५,४९३ अछि जाहिमे शहरी क्षेत्र तथा देहाती क्षेत्रक जनसङ्ख्या क्रमश: २,६६,८३४ आ ३०,१८,६३९ अछि ।

  • स्त्री-पुरूष अनुपात- ९१०/ १०००
  • जनसङ्ख्याक घनत्व- ११०१
  • जन्मक समय जीवन प्रत्याशा- ४७.६ वर्ष
  • जनसङ्ख्या वृद्धि दर- २.२५%
  • साक्षरता दर- ३५.४२% (पुरूष-४५.३२ स्त्री- २४.५८%)

प्रशासनिक विभाजन

दरभङ्गा जिलाके अन्तर्गत ३ अनुमण्डल, १८ प्रखण्ड, ३२९ पञ्चायत, १,२६९ गाम आ २३ थाना अछि ।

  • अनुमण्डल- दरभङ्गा सदर, बेरौल, बेनीपुर
  • प्रखण्ड- दरभङ्गा, बहादुरपुर, हयाघाट, हनुमाननगर, बहेरी, केवटी, सिंघवारा, जाले, मणिगाछी, ताराडिह, बेनीपुर, अलीनगर, बिरौल, घनश्यामपुर, कीरतपुर, गौरा-बौरम, कुशेश्वरस्थान, कुशेश्वरस्थान (पूर्व)

कृषि आ वन

दड़िभङ्गा जिलाक चूनासँ युक्त दोमट माटि रबी आओर खरीफ फसल लेल उपयुक्त अछि । भदई आओर अगहनी धान, गहुंम, मकई, रागी, तिलहन (बूट, मसूरी, खेसारी, मूंग), आलू कुसिआर आदि मुख्य फसल अछि । जिलाक कुल क्षेत्रफलक १,९८,४१५ हेक्टेयर कृषियोग्य अछि । १९,६१७ हेक्टेयर क्षेत्र ऊँच जमीन, 37,६६० हेक्टेयर मध्यम आओर ३८,०१७ हेक्टेयर निचाऽक भूमि अछि । ओना दड़िभङ्गा जिलामे जङ्गल नहि अछि तैयो लोगक अपन गाछी वृछी बेस छै । गामसँ सटल रैयतक जमीन पर सिसो, खैर, खजूर, आम, लीची, लताम, कटहर, पीपर, ईमली आदि पर्याप्त मात्रामे देखा जाइत । आम आओर मखानाक उत्पादनक लेल दड़िभङ्गा प्रसिद्ध अछि आओर विशेष स्थान सेहो राखैत अछि । जिलाक लगभग सब हिस्सामे पोखैर आओर चौर क्षेत्रमे पोषक तत्वसभसँ भरपूर मखान एतयके महत्वपूर्ण उत्पाद अछि ।[४] [५]

शैक्षणिक संस्थान

परम्परा सँ ई शहर संस्कृतमे उच्च शिक्षाके लेल प्रसिद्द रहल अछि ।[६] पुरातन आ आधुनिक शिक्षाक नीक केन्द्र हुअके बावजूद दड़िभङ्गा एकटा निम्न साक्षरतावला जिला अछि । ललितनारायण मिथिला विश्वविद्यालयके छोडि एतय कामेश्वरसिंह संस्कृत विश्वविद्यालय स्थापित अछि जकर अन्तर्गत राज्यके सबटा संस्कृत महाविद्यालय आबैत अछि । शहरमे प्राविधिक आ चिकित्सा महाविद्यालयके अतिरिक्त मिथिला शोध संस्थान जेहेन विशिष्ट शिक्षाक केन्द्र सेहो अछि । दड़िभङ्गा जिलाक अन्तर्गत आबयबाला शिक्षण संस्थान अहिं प्रकारसँ अछि:

  • प्राथमिक विद्यालय- १,१६५
  • मध्य विद्यालय- ३१२
  • उच्च विद्यालय- ७०
  • अङ्गीभूत डिग्री महाविद्यालय- १७
  • सम्बद्ध डिग्री महाविद्यालय- २६
  • संस्कृत महाविद्यालय- ५
  • शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय- २ (डिग्री आ डिप्लोमा)
प्राविधिक संस्थानः

दरभङ्गा कलेज अफ इन्जिनियरिङ, महिला प्राविधिक महाविद्यालय, राजकीय पोलिटेक्निक दरभङ्गा, उद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान

चिकित्सा महाविद्यालयः

दरभङ्गा चिकित्सा महाविद्यालय आ अस्पताल, नर्सिङ ट्रेनिङ्ग विद्यालय-१, दन्त चिकित्सा महाविद्यालय-४ (निजी), एमआरएम आयुर्वेदिक महाविद्यालय

अन्य विशिष्ट संस्थान
  • मिथिला शोध संस्थान (संस्कृतमे परास्नातक स्तरीय शिक्षा आ शोधक सुविधा)
  • डाक प्रशिक्षण केन्द्र (डाककर्मिसभक लेल केन्द्र सरकारद्वारा स्थापित प्रशिक्षण केन्द्र)
  • मखानाक लेल राष्ट्रिय शोध केन्द्र, वासुदेवपुर, दरभङ्गा

एकर अतिरिक्त जिलामे १ केन्द्रीय विद्यालय, १ जवाहर नवोदय विद्यालय तथा ४ चरवाहा विद्यालय सेहो अछि S।

संस्कृति

दरभङ्गा प्रदेश मिथिला संस्कृतिक अङ्ग आ केन्द्र विन्दु रहल अछि ।[७] रामायण कालसँ राजा जनकक शासन प्रदेश रहल अछि । मध्यकालमे अहि क्षेत्र पर मुसलमान शासक सबहक कब्जा भेलाके बादो ई हिन्दू क्षत्रपक अधीन रहल आओर अपन खास पहिचान बनाऽ कऽ राखऽ मे सक्षम रहल । पहिले सँ मुस्लिम बहुल दरभङ्गा शहरमे १९अम सदीक आरम्भमे ब्राह्मण राजाद्वारा अपन राजधानी स्थानान्तरित केलाक बाद एतय हिन्दू बसऽ लागल आओर शहरमे नीक संस्कृतिक जन्म भेल । ओना दरभङ्गा हिन्दू बहुल अछि मुदा मुसलमानक कुल जनसङ्ख्याक ३६% अछि ।[८] मिथिला चित्रकला, ध्रुपद गायनक गया शैली आओर संस्कृतक विद्वान अहिं क्षेत्रके दुनिया भरिमे पहिचान देलक । प्रसिद्ध लोककला सबमे सुजनी, खरक घर अओर काठ पर नक्काशीक काज सम्मिलित अछि । सामा चकेवा आ झिझिया दड़िभङ्गाक लोक नृत्य अछि । एतयके लोकके खान-पान आ विद्या प्रेम पर मैथिलीमे प्रचलित एकटा कहावत दड़िभङ्गाक संस्कृतिके नीक सँ बतबैत अछि:

अपन गौरवशाली अतीत आ अद्वितीय सांस्कृतिक परम्पराक बावजूद दुर्भाग्यसँ मिथिला संस्कृतिक केन्द्र रहल ई क्षेत्र आई राजनैतिक उपेक्षाक शिकार भऽ कऽ रहि गेल अछि आओर अखन कहिओ कहिओ अपन बाढ़िक भयावहताक कारण अखबारक हेडलाइनमे देखा जाइत अछि ।

पर्यटन स्थल

दड़िभङ्गा शहरक दर्शनीय स्थल
  • दड़िभङ्गा राज परिसर एवं किला:

दड़िभङ्गाक महाराजा सबहक कला, साहित्य एवं संस्कृति के संरक्षकमे गिनल जाइत अछि। स्वर्गीय महेश ठाकुर द्वारा स्थापित दरभंगा राज किला-परिसर आब एगो आधुनिक स्थल एवं शिक्षाक केंद्र बनि गेल अछि। भव्य एवं योजनाबद्ध तरीका सँ अभिकल्पित महल, मंदिर एवं पुरानका प्रतीकके अखनो देखल जा सकैछ। अलग-अलग महाराजा द्वारा बनायल गेल महल सबमे नरगौना महल, आनंदबाग महल एवं बेला महल प्रमुख अछि। राज पुस्तकालय भवन ललितनारायण मिथिला विश्वविद्यालय द्वारा एवं आन दोसर भवन संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा उपयोगमे आनल जा रहल अछि।

  • महाराजा लक्ष्मिश्वर सिंह संग्रहालय एवं चंद्रधारी संग्रहालय:

रंती-ड्योढी (मधुबनी)क स्वर्गीय चंद्रधारी सिंह द्वारा दान कएल गेल कलात्मक एवं अमूल्य दुर्लभ सामग्रिके शहरके मानसरोवर झीलक कातमे 7 दिसम्बर 1957 के स्थापित एकटा संग्रहालयमे राखल गेल अछि । अहिं संग्रहालय के सन 1974 मे दूमंजिला भवनमे स्थानान्तरित कर दिया गया जहाँ संग्रहित वस्तुओं को ११ कक्षों मे रखा गया है। सितंबर 1977 मे दरभंगा के तत्कालिन जिलाधिकारी द्वारा महाराजा लक्ष्मिश्वर सिंह संग्रहालय की स्थापना की गयी। दरभंगा महाराज के वंशज श्री शुभेश्वर सिंह द्वारा दान की गयी दुर्लभ कलाकृतियाँ एवं राज से संबधित वस्तुएँ यहाँ संग्रहित है। दरभंगा राज की अमूल्य एवं दुर्लभ वस्तुएं तथा सोने, चाँदी एवं हाथी दाँत के बने हथियारों आदि को आठ कक्षों मे सजाकर रखा गया है। सोमवार छोडकर सप्ताह मे प्रत्येक दिन खुलने वाले दोनों संग्रहालयों मे प्रवेश नि:शुल्क है।[९]

  • श्यामा मंदिर:

दरभंगा स्टेशन से १ किलोमीटर की दूरी पर मिथिला विश्वविद्यालय के परिसर मे दरभंगा राज द्वारा १९३३ मे बनवाया गया काली मंदिर बहुत सुंदर है। स्थानीय लोगों मे इस मंदिर की बड़ी प्रतिष्ठा है और लोगों मे ऐसा विश्वास है कि यहाँ पूजा करने से मनोवांछित फल मिलता है।

  • होली रोजरी चर्च:

दरभंगा रेलवे स्टेशन से १ किलोमीटर उत्तर स्थित १८९१ मे बना कैथोलिक चर्च इसाई पादरियों के प्रशिक्षण के लिए बना था। १८९७ मे भूकंप से हुए नुकसान के बाद चर्च मे २५ दिसम्बर १९९१ से पुन: प्रार्थना शुरु हुई। चर्च के बाहर ईसा मसीह का एक प्रतिमा बना है।

  • हज़रात मखदूम भीका शाह सैलानी का मज़ार शरीफ:

दरगाह शरीफ हज़रात मखदूम भीका शाह सैलानी रहमतुल्लाह अलैह बिहार के दरभंगा शहर के रेलवे स्टेशन से आधा किलोमीटर की दूरी पर दिघी तालाब के पश्चिम किनारे पर मोहल्ला मिश्रटोला (भटियारी सराय ) मे मैं स्टेशन रोड पर हज़रात मखदूम भीका शाह सैलानी रहमतुल्लाह अलैह का मज़ार है. सड़क से ऊंचाई पर स्थित आलिशान दरगाह शरीफ मे हज़रात मखदूम भीका भीका शाह सैलानी रहमतुल्लाह अलैह का तकरीबन 400 वर्ष से पुराना मज़ार है.। दरगाह परिसर मे ही हज़रत मौलाना फ़िदा अब्दुल करीम समरक़ंदी रहमतुल्लाह अलैह का भी मज़ार है… जो बाद मे आये थे। हज़रात मखदूम भीका शाह सैलानी रहमतुल्लाह अलैह का सालाना उर्स ईद उल ज़ुहा (बकरीद ) की 13 से 17 तारिख तक होता है। जिसमे बिहार के अलावा अन्य राज्यों से और पडोसी देश नेपाल के भी ज़ायरीन आते हैं.... .हज़रात मखदूम भीका शाह सैलानी रहमतुल्लाह अलैह को मानने वाले हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई सभी मज़हब के लोग है..

  • मस्जिद एवं मकदूम बाबा की मजार:

दरभंगा रेलवे स्टेशन से २ किलोमीटर की दूरी पर दरभंगा टावर के पास बनी मस्जिद शहर के मुसलमानों के लिए सबसे बड़ा इबादत स्थल है। पास ही सूफी संत मकदूम बाबा की मजार है जो हिंदुओं और मुसलमानों के द्वारा समान रुप से आदरित है। स्टेशन से १ किलोमीटर दूर गंगासागर तालाब के किनारे बनी भिखा सलामी मजार के पास रमजान महीने की १२-१६ वीं के बीच मेला लगता है।

दरभंगा के आसपास
  • कुशेश्वरस्थान शिवमंदिर एवं पक्षी विहार:

समस्तीपुर-खगडिया रेललाईन पर हसनपुर रोड से २२ किलोमीटर दूर कुशेश्वर स्थान मे रामायण काल का शिव मंदिर है। यह स्थान अति पवित्र माना जाता है। कुशेश्वर स्थान, घनश्यामपुर एवं बेरौल प्रखंड मे 7019 एकड जलप्लावित क्षेत्र को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत पक्षी अभ्यारण्य घोषित किया गया है। विशेष पारिस्थिकी वाले इस भूक्षेत्र मे स्थानीय, साईबेरियाई तथा नेपाल, भूटान, पाकिस्तान, अफगानिस्तान जैसे पड़ोसी देशों से आनेवाले पक्षियों की अच्छी तादाद दिखाई देती है। ललसर, दिघौच, माइल, नकटा, गैरी, गगन, अधानी, हरियल, चाहा, करन, रतवा, गैबर जैसे पक्षी यहाँ देखे जा सकते हैं। पक्षियों के अवैध शिकार के कारण इनकी तादाद अब काफी कम हो चुकी है। साथ ही अब तो कई प्रजातियाँ विलुप्ति के कगार पर है। लोगो मे अभी भी पूरी जागरूकता नहीं आ पायी है और लोग इन्हें भोजन के पौष्टिक और स्वादिष्ट स्रोत जो ठण्ड के मौसम मे उन्हें उपलब्ध होते है के रूप मे देखते है। लोगो के इसी रवैये के परिणाम स्वरुप परियावारण पर परिवर्तन आ रहे है। अब इनकी संख्या काफी कम हो चुकी है।

  • अहिल्यास्थान एवं गौतमस्थान:

जाले प्रखंड मे कमतौल रेलवे स्टेशन से ३ किलोमीटर दक्षिण अहिल्यास्थान स्थित है। अयोध्या जाने के क्रम मे भगवान श्रीराम ने पत्थर बनी शापग्रस्त अहिल्या का उद्धार इस स्थान पर किया था। यहाँ प्रतिवर्ष रामनवमी (चैत्र) एवं विवाह पंचमी (अगहन) को मेला लगता है। कमतौल से ८ किलोमीटर दूर ब्रह्मपुर मे गौतम ऋषि का स्थान माना जाता है। यहाँ गौतम सरोवर एवं पास ही मंदिर बना है। ब्रह्मपुर के खादी ग्रामोद्योग केंद्र एवं खादी भंडार से वस्त्र खरीदे जा सकते है।

  • छपरार: दरभंगा से १० किलोमीटर दूर कमला नदी किनारे बना शिवमंदिर के पास कार्तिक एवं माघ पूर्णिमा को मेला लगता है।
  • देवकुली धाम: बिरौल प्रखंड के देवकुली गाँव मे शिव का प्राचीन मंदिर है जहाँ प्रत्येक रविवार को पुजा हेतु भीड होती है। शिवरात्रि के दिन यहाँ मेला भी लगता है।
  • नेवारी: बेरौल से १३ किलोमीटर दूर स्थित यह स्थान राजा लोरिक के प्राचीन किला के लिए प्रसिद्ध है।

यातायात एवं संचार

दरभंगा बिहार के सभी मुख्य शहरों से राजमार्गों द्वारा जुड़ा हुआ है। जिले मे सड़कों की कुल लंबाई २२४५ किलोमीटर है। यहाँ से वर्तमान मे दो राष्ट्रीय राजमार्ग तथा तीन राजकीय राजमार्ग गुजरती हैं। मुजफ्फरपुर से झंझारपुर जानेवाला राष्ट्रीय राजमार्ग ५७ दरभंगा होते हुए जाती है। ५५ किलोमीटर लंबा राष्ट्रीय राजमार्ग १०५ दरभंगा को जयनगर से जोड़ता है। जिले मे राष्ट्रीय राजमार्ग ५७ एवं १०५ की कुल लंबाई ५७ किलोमीटर तथा राजकीय राजमार्ग संख्या ५० तथा ५६ की कुल लंबाई ८९ किलोमीटर है।

  • रेल मार्गः

दरभंगा भारतीय रेल के नक्शे का एक महत्वपूर्ण जंक्शन है जो पूर्व मध्य रेलवे क्षेत्र के समस्तीपुर मंडल मे पड़ता है। दिल्ली-गुवाहाटी रूट पर स्थित समस्तीपुर जंक्शन से बड़ी गेज की एक लाईन दरभंगा होते हुए नेपाल सीमा पर झंझारपुर को जाती है। दरभंगा से एक अन्य रेल लाईन सीतामढी होते हुए नरकटियागंज को जोड़ती है। सकड़ी से हसनपुर को जोडनेवाली रेललाईन निर्माणाधीन है। १९९६ तक दरभंगा मीटर गेज से जुड़ा था लेकिन अमान परिवर्तन के बाद यहाँ से दिल्ली, मुम्बई, पुणे, कोलकाता, अमृतसर, गुवाहाटी तथा अन्य महत्वपूर्ण शहरों के लिए सीधी ट्रेनें उपलब्ध है।

  • वायु मार्गः

दरभंगा से १० किलोमीटर की दूरी पर बना हवाई अडडा भारतीय वायु सेना के उपयोग मे है। निकटस्थ नागरिक हवाई अड्डा १३० किलोमीटर दूर पटना मे स्थित है। लोकनायक जयप्रकाश हवाई क्षेत्र पटना (IATA कोड- PAT) से अंतर्देशीय तथा सीमित अन्तर्राष्ट्रीय उड़ाने उपलब्ध है। इंडियन, किंगफिशर, जेट एयर, स्पाइस जेट तथा इंडिगो की उडानें दिल्ली, कोलकाता और राँची के लिए उपलब्ध हैं।

सन्दर्भ

  1. http://www.amarujala.com/news/spirituality/religion-festivals/ramayan-sita-daughter-of-king-janak/
  2. http://hi.bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%A6%E0%A4%B0%E0%A4%AD%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%BE[१]
  3. [२] जागरण समाचार-घनश्यामपुर मे सैकड़ों घरों मे घुसा पानी
  4. http://hindi.business-standard.com/storypage.php?
  5. http://hindi.indiawaterportal.org/node/46821
  6. [३] कला संस्कृतिक द्वार छल दड़िभङ्गा
  7. https://books.google.co.in/books?
  8. [४] अंग्रेजी विकिपीडिया पर दरभङ्गा
  9. http://yatrasalah.com/touristPlaces.aspx?

बहरिआ कड़ी सब