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"टर्की (पक्षी)": अवतरणों में अंतर

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{{Taxobox
भारत में तुर्की की नस्लें
| name = ''टर्की<br>Turkey''
1. बोर्ड ब्रेस्टेड ब्रोंजः
| fossil_range = {{Fossil range|23|0}}<small>Early [[Miocene]] – Recent</small>
इनके पंखों का रंग काला होता है न कि कांस्य। मादाओं की छाती पर काले रंग के पंख होते हैं जिनके सिरों का रंग सफेद होता है जिसके कारण 12 सप्ताह की छोटी आयु में ही उनके लिंग का पता लगाने में सहायता मिलती है।
| image = Wild turkey eastern us.jpg
2. बोर्ड ब्रेस्टेड ह्वाइट
| image_width = 250px
यह बोर्ड ब्रेस्टेड ब्रोंज तथा सफेद पंखों वाले ह्वाइट हॉलैंड की संकर नस्ल है। सफेद पंखों वाले तुर्की भारतीय कृषि जलवायु स्थितियों के लिए अधिक उपयुक्त होते हैं क्योंकि इनमें गर्मी सहने की क्षमता अधिक होती है और ड्रेसिंग के बाद ये सुंदर और साफ दिखाई देते हैं।
| image_caption = जंगली टर्की (Wild turkey )
3. बेल्ट्सविले स्मॉल ह्वाइट
| regnum = [[जंतु]]
यह रंग तथा आकार में बहुत कुछ बोर्ड ब्रेस्टेड ह्वाइट से मिलती-जुलती है लेकिन इसका आकार थोड़ा छोटा होता है। इसमें अंडों का उत्पादन, जनन क्षमता तथा अंडों से बच्चे देने की क्षमता और ब्रूडीनेस भारी प्रजातियों की तुलना में कम होती है।
| phylum = [[रज्जुकी]] <small>(Chordata)</small>
4. नंदनम् तुर्की-1
| classis = [[पक्षी]] <small>(Aves)</small>
नंदनम् तुर्की-1 प्रजाति, काली देसी प्रजाति तथा छोटी विदेशी बेल्ट्सविले की सफेद प्रजाति की संकर नस्ल है। यह तमिलनाडु की जलवायु स्थितियों के लिए अनुकूल है।
| ordo = [[गैलीफ़ॉर्मेस]] <small>(Galliformes)</small>
| familia = [[फेसियेनिडाए]] <small>(Phasianidae)</small>
| subfamilia = [[मेलेआग्रिडिडाए]] <small>(Meleagridinae)</small>
| genus = [[टर्की|मेलेआग्रिस]] <small>(Meleagris)</small>
| genus_authority = [[कार्ल लीनियस|लीनियस]], 1758
| subdivision_ranks = [[जीववैज्ञानिक जाति|जातियाँ]]
| subdivision =
*<small> ''[[:en:Wild turkey|M. gallopavo]]''</small>
*<small> ''[[:en:Ocellated turkey|M. ocellata]]''</small>
*<small> †''[[:en:Californian turkey|M. californica]]''</small>
}}
'''टर्की''' (Turkey) या '''पेरू''' (Peru) [[मेलेआग्रिस]] [[वंश (जीवविज्ञान)|वंश]] का एक बड़े आकार का [[पक्षी]] है, जो मूल रूप से [[उत्तर अमेरिका|उत्तर]] व [[दक्षिण अमेरिका|दक्षिण अमेरिका]] में पाया जाता था, जहाँ यह सब से बड़े पक्षियों में से एक है। इस वंश में दो [[जाति (जीवविज्ञान)|जातियाँ]] पाई जाती हैं: [[नेत्रांकित टर्की]] (ocellated turkey) और [[उत्तर अमेरिका]] की [[जंगली टर्की]] (wild turkey)। दोनों जातियों के नर पक्षियों की [[चोंच]] के ऊपर एक उभाड़ टंगा हुआ होता है। मादाओं की तुलना में नर बड़े और अधिक रंगदार होते हैं।<ref name="OneKind-turkey-fact">{{cite web |url=http://www.onekind.org/education/animals_a_z/turkey |title=Amazing Facts About Turkey |publisher=OneKind |accessdate=24 December 2015 |archive-url=https://web.archive.org/web/20151224103918/http://www.onekind.org/education/animals_a_z/turkey |archive-date=24 दिसंबर 2015 |url-status=dead }}</ref><ref name="pbs-turkey-wild-domestic">{{cite web |url=https://www.pbs.org/wnet/nature/my-life-as-a-turkey-domesticated-versus-wild-graphic/7360/ |title=My Life as a Turkey – Domesticated versus Wild Graphic |publisher=PBS |accessdate=27 December 2015 |archive-url=https://web.archive.org/web/20151231042601/http://www.pbs.org/wnet/nature/my-life-as-a-turkey-domesticated-versus-wild-graphic/7360/ |archive-date=31 दिसंबर 2015 |url-status=live }}</ref>


== नाम ==
तुर्की पालन में आर्थिक मानदंड
जब यूरोपीय उपनिवेशक आरम्भ में उत्तर व दक्षिण अमेरिका पहुँचे, तो पहली बार मूल अमेरिकी आदिवासियों के अलावा किसी ने टर्की पक्षियों को देखा। समझा जाता है कि कुछ उपनिवेशकों ने गलती से इस पक्षी को एक प्रकार की गिनी मुर्गी समझ लिया जो उस काल में [[तुर्की]] देश से निर्यात होती थी। इस कारणवश यह उस पक्षी को टर्की बुलाने लगे।<ref name=KrulwichPei2008>{{cite web|last1=Krulwich|first1=Robert|title=Why A Turkey Is Called A Turkey|url=https://www.npr.org/templates/story/story.php?storyId=97541602|website=NPR|accessdate=18 July 2016|date=27 November 2008|archive-url=https://web.archive.org/web/20160411192108/http://www.npr.org/templates/story/story.php?storyId=97541602|archive-date=11 अप्रैल 2016|url-status=live}}</ref><ref>[https://books.google.com/books?id=OL60E3r2yiYC&pg=PA1217&dq=turkey+bird+name&lr=&as_brr=3#v=onepage&q=turkey%20bird%20name&f=false ''Webster's II New College Dictionary''] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20190317021621/https://books.google.com/books?id=OL60E3r2yiYC&pg=PA1217&dq=turkey+bird+name&lr=&as_brr=3#v=onepage&q=turkey%20bird%20name&f=false |date=17 मार्च 2019 }}. Houghton Mifflin Harcourt 2005, {{ISBN|978-0-618-39601-6}}, p. 1217</ref><ref>Smith, Andrew F. (2006) [https://books.google.co.uk/books?id=J0L3PdUtydEC&pg=PA17 ''The Turkey: An American Story'']. University of Illinois Press. {{ISBN|978-0-252-03163-2}}. p. 17</ref>
नर-मादा अनुपात 1:5
अंडे का औसत भार 65 ग्राम
एक दिन के बच्चे का औसत वजन 50 ग्राम
प्रजनन क्षमता प्राप्त करने की आयु 30 सप्ताह
अंडों की औसत संख्या 80 -100
इन्क्यूबेशन अवधि 28 दिन
20 सप्ताह की आयु में शरीर का औसत भार 4.5 – 5 (मादा)
7-8 (नर)
अंडा देने की अवधि 24 सप्ताह
बेचने योग्य आयु
नर
मादा
14 -15 सप्ताह
17 – 18 सप्ताह
बेचने योग्य भार
नर
मादा
7.5 किलो
5.5 किलो
खाद्य कुशलता 2.7 -2.8
बेचने योग्य होने की आयु तक पहुँचने तक भोजन की औसत खपत
नर
मादा
24 -26 किलो
17 – 19 किलो
ब्रूडिंग अवधि के दौरान मृत्यु दर 3-4%


जब टर्कियाँ विश्व के अन्य भागों में उपलब्ध होने लगी तो कई यूरोपीय देशों में यह भूल थी की अमेरिकी महाद्वीप [[भारत]] थे, इसेलिए उन्होंने मान लिया गया कि टर्की [[भारत]] (हिन्द, इंडीया) से आई है। इस कारणवश टर्की को [[रूस]] में "इंदयुश्का" (indyushka, अर्थ "भारतीय"), [[पोलैंड]] और [[युक्रेन]] में "इंदयिक" (indyk) और [[तुर्की]] में "हिन्दी" बुलाया जाता है।<ref name=KrulwichPei2008/> [[पुर्तगाल|पुर्तगालियों]] की दृष्टि में टर्की [[पेरू]] देश से थी, इसलिए [[पुर्तगाली भाषा]] में इसे "पेरू" (peru) कहा जाता है। जब पुर्तगाली उपनिवेशक भारत आए (जहाँ उन्होंने [[गोवा]] पर कब्ज़ा करा), तो कुछ भारतीय भाषाओं में भी पुर्तगाली उपनिवेशकों का अनुसरण करते हुए इस पक्षी को "पेरू" कहा जाने लगा।<ref>Dicionário Priberam da Lingua Portuguesa, "peru".</ref>


== इन्हें भी देखें ==
तुर्की पालन में अपनाई जाने वाली पद्धतियाँ
* [[पक्षी]]
I. अण्डा सेना
* [[फेसियेनिडाए]]
तुर्की में अण्डा-सेना (उद्भवनकाल) की अवधि 28 दिन होती है। अण्डा सेने के दो तरीके हैं।
क) ब्रूडिंग मादाओं के साथ प्राकृतिक अण्डा-सेनाः
प्राकृतिक रूप से तुर्कियाँ अच्छी ब्रूडर होती हैं और ब्रूडी मादा 10-15 अंडो तक सेने का कार्य कर सकती है। अच्छे खोल तथा आकार वाले साफ अंडों को ब्रूडिंग के लिए रखा जाना चाहिए ताकि 60-80 % अंडे सेने का काम किया जा सके और स्वस्थ बच्चे मिलें।


== सन्दर्भ ==
{{टिप्पणीसूची}}


[[श्रेणी:मेलेआग्रिडिडाए]]
ख) कृत्रिम रूप से अण्डा सेनाः
कृत्रिम इन्क्यूबेशन में अंडों को इन्क्यूबेटरों की सहायता से अण्डा सेने का कार्य किया जाता है। सैटर तथा हैचर में तापमान तथा सापेक्ष आद्रता निम्नलिखित हैः
तापमान ( डिग्री एफ ) सापेक्ष आद्रता (%)
सैटर 99.5 61-63
हैचर 99.5 85-90
अंडों को प्रतिदिन एक-एक घंटे के अंतर पर पलटना चाहिए। अंडों को बार-बार इकट्ठा किया जाना चाहिए ताकि उन्हें गंदा होने और टूटने से बचाया जा सके और उनकी हैचिंग बेहतर तरीके से हो।



II. ब्रूडिंग
तुर्की में 0-4 सप्ताह की अवधि को ब्रूडिंग अवधि कहा जाता है। सर्दियों में ब्रूडिंग अवधि 5-6 सप्ताह तक बढ़ जाती है। यह अनुभव द्वारा सिद्ध बात है कि चिकेन की तुलना में तुर्की के बच्चों को होवर स्थान दोगुना चाहिए। एक दिन के बच्चों की ब्रूडिंग इंफ्रा रेड बल्बों या गैस ब्रूडर की सहायता और परंपरागत ब्रूडिंग सिस्टमों द्वारा की जा सकती है।
ब्रूडिंग के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें:
• 0-4 सप्ताह तक प्रति पक्षी 1.5 वर्ग फीट स्थान की आवश्यकता होती है।
• बच्चों के निकलने से दो दिन पूर्व ब्रूडर गृह को तैयार कर लेना चाहिए।
• नीचे बिछाई जाने वाली सामग्री को 2 मीटर के व्यास में गोलाकार रूप में फैलाया जाना चाहिए।
• नन्हें बच्चों को ताप के स्रोत से दूर जाने देने से रोकने के लिए 1 फीट ऊँची बाड़ अवश्य लगाई जानी चाहिए।
• शुरुआती तापमान 95 डिग्री फारेनहाइट है जिसमें 04 सप्ताह की आयु तक प्रति सप्ताह 5 डिग्री फारेनहाइट की कमी की जानी चाहिए।
• पानी के लिए कम गहरे वाटरर का उपयोग किया जाना चाहिए।
जीवन के पहले 04 सप्ताह के दौरान औसत मृत्यु दर 6-10% है। अपने जीवन के शुरुआती दिनों में छोटे बच्चे खाना खाने और पानी पीने में अनिच्छुक होते हैं। इसका मुख्य कारण उनकी खराब दृष्टि और घबराहट होती है। इसलिए उन्हें जबरदस्ती खिलाना पड़ता है।


जबरदस्ती खिलाना
छोटे बच्चों में मृत्यु दर का एक प्रमुख कारण भूख से मर जाना है। इसलिए खाना खिलाने तथा पानी पिलाने के लिए विशेष ध्यान रखना पड़ता है। जबरदस्ती खिलाने के लिए पंद्रह दिनों तक प्रति एक लीटर पानी पर 100 एमएल की दर से दूध तथा प्रति 10 बच्चों पर एक उबला अंडा दिया जाना चाहिए। यह छोटे बच्चों की प्रोटीन तथा शक्ति की आवश्यकताओं को पूरा करेगा।
खाने के बर्तन को उंगलियों से धीरे-धीरे थपथपाकर बच्चों को भोजन की तरफ आकर्षित किया जा सकता है। फीडर तथा वाटरर (पानी पीने का बरतन) में रंग-बिरंगे कंचे या पत्थरों को रखने से भी छोटे बच्चे उनकी तरफ आकर्षित होंगे। चूंकि तुर्कियों को हरा रंग बहुत पसंद होता है इसलिए उनके खाने की मात्रा को बढ़ाने के लिए उसमें कुछ कटे हुए हरे पत्ते भी मिला देने चाहिए। पहले 02 दिनों तक रंग-बिरंगे अंडे फिलरों को भी फीडर के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।


नीचे बिछाने की सामग्रीs
ब्रूडिंग के लिए आमतौर पर नीचे बिछाई जाने वाली सामग्री में लकड़ी का बुरादा, चावल का छिलका तथा कटी हुई लकड़ी के छिलके आदि इस्तेमाल किये जाते हैं। शुरू में बच्चों के लिए बिछाई जाने वाली सामग्री की मोटाई 2 इंच होनी चाहिए जिसे समय के साथ-साथ 3-4 इंच तक बढ़ाया जाए। बिछाई गई सामग्री में केकिंग को रोकने के लिए उसे कुछ समय के अंतराल पर पलट देना चाहिए।



III. पालन प्रणाली
तुर्कियों को फ्री रेंज या गहन प्रणाली के अंतर्गत पाला जा सकता है।
क) पालन का फ्री रेंज प्रणाली
लाभ
• इससे भोजन की लागत में 50 प्रतिशत तक की कमी आती है।
• कम निवेश
• लागत-लाभ अनुपात अधिक।
फ्री रेंज प्रणाली में एक एकड़ बाड़ लगी हुई भूमि में हम 200-250 व्यस्क तुर्कियों को पाल सकते हैं। प्रति पक्षी 3-4 वर्ग फीट की दर से रात में रहने के लिए आश्रय उपलब्ध करवाया जाना चाहिए। सफाई के दौरान उन्हें परभक्षियों से भी बचाया जाना चाहिए। छाया तथा ठंडा वातावरण उपलब्ध करवाने के लिए पेड़ लगाना भी जरूरी है। रेंज को बारी-बारी से उपयोग किया जाना चाहिए जिससे परजीवी के पैदा होने की संख्या में कमी आती है।
फ्री रेंज भोजन
चूंकि तुर्कियाँ बहुत अच्छी सफाईकर्मी होती है इसलिए ये केचुओं, छोटे कीड़ों, घोंघो, रसोई घर से उत्पन्न होनेवाले कचरे तथा दीमकों को खा जाती हैं जो कि प्रोटीन के अच्छे स्रोत होते हैं। इसके कारण खाने की लागत में पचास प्रतिशत की कमी आती है। इसके अतिरिक्त लेग्यूमिनिस चारा जैसे ल्यूक्रेन, डेस्मैनथस, स्टाइलो आदि भी खिलाया जा सकता है। फ्री रेंज में पाले जाने वाले पक्षियों के पैरों में कमजोरी और लंगड़ाहट रोकने के लिए ओयस्टर शैल के रूप में प्रति सप्ताह प्रति पक्षी 250 ग्राम की दर से कैल्शियम भी मिलाया जाना चाहिए। भोजन की लागत को कम करने के लिए दस प्रतिशत भोजन के स्थान पर सब्जियों का अपशिष्ट दिया जा सकता है।
स्वास्थ्य सुरक्षा
फ्री रेंज प्रणाली में तुर्कियों को आंतरिक ( राउंड वर्म) तथा बाहरी ( फाउल माइट) परजीवियों से बहुत अधिक खतरा होता है। इसलिए पक्षियों के विकास को बढ़ाने के लिए हर महीने उसे कीटाणुमुक्त तथा डीपिंग करना आवश्यक है।


B. पालन का गहन प्रणाली
लाभः
• उत्पादन क्षमता में वृद्धि
• बेहतर प्रबंधन तथा बीमारी नियंत्रण
आवास
• आवास तुर्कियों को धूप, बारिश, हवा, परभक्षियों से बचाती है और उन्हें आराम भी उपलब्ध करवाती है।
• देश के गर्म भागों में घर की लंबाई पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर होनी चाहिए।
• दो घरों के बीच में दूरी कम से कम 20 मीटर होनी चाहिए तथा बच्चों का घर, व्यस्कों के घर से कम से कम 50 से 100 मीटर की दूरी पर होनी चाहिए।
• खुले घर की चौड़ाई 9 मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए।
• घर की ऊंचाई फर्श से छत तक 2.6 से 3.3 मीटर तक हो सकती है।
• बारिश के पानी के छींटों को रोकने के लिए एक मीटर का छज्जा भी उपलब्ध करवाया जाना चाहिए।
• घर का फर्श सस्ता, टिकाऊ तथा सुरक्षित होना चाहिए, विशेष रूप से नमी प्रूफ सहित कंक्रीट का हो।
जब तुर्कियों को गहरे कूड़े प्रणाली (डीप लीटर सिस्टम) के अंतर्गत पाला जाता है तो सामान्य प्रबंधन परिस्थितियाँ चिकेन जैसी ही होती है किंतु यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि उन्हें पर्याप्त स्थान, पानी पीने तथा खाना खाने का स्थान उपलब्ध करवाया जा सके, जिसमें बड़ी पक्षी आसानी से रह सके।



IV. तुर्कियों को पकड़ना और उनका रख-रखाव
सभी आयु-समूहों की तुर्कियों को एक छड़ी की सहायता से एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से ले जाया जा सकता है। तुर्कियों को पकड़ने के लिए एक अंधेरा कमरा सर्वोत्तम है जहाँ उन्हें बिना किसी चोट के उनकी दोनों टांगों से पकड़ कर उठाया जा सकता है। फिर भी, व्यस्क तुर्कियों को 3-4 मिनट से ज्यादा देर तक नहीं लटकाया जाना चाहिए।

V. तुर्कियों के लिए सतह, भोजन व पानी पीने के बरतन रखने के स्थान की आवश्यकता
आयु फर्श पर स्थान
(वर्ग फीट ) फीडर स्थान (सेंटी मीटर)
(लिनियर फीडर वाटरर स्थान ( सेंमी)
(लिनियर वाटरर)
0-4 सप्ताह 1.25 2.5 1.5
5-16 सप्ताह 2.5 5.0 2.5
16-29 सप्ताह 4.0 6.5 2.5
तुर्की ब्रीडर 5.0 7.5 2.5
तुर्कियों का स्वभाव आमतौर पर घबराहट वाला होता है, इसलिए वे हर समय डर जाती है। इसलिए तुर्की के घर में आने वालों का प्रवेश सीमित किया जाना चाहिए।

VI. पंखों को हटाना (डीबीकिंग)
पंखों को उखाड़ने तथा अपने साथ के बच्चों को खाने से रोकने के लिए छोटे बच्चों के पंख को हटा देनी चाहिए। पंख हटाने का काम एक दिन या 3-5 सप्ताह की आयु में की जा सकती है। चोंच की नोक से नासिका तक की लंबाई की आधी चोंच को हटा दें।


VII. डिस्नूडिंग
एक दूसरे पक्षियों को चोंच मारने और लड़ाई के दौरान सिर में लगने वाले चोटों से बचाने के लिए स्नूड या ड्यू बिल (चोंच की जड़ में से निकलने वाली मांस की संरचना) को हटाया जाता है। जब बच्चा एक दिन का हो जाता है तो स्नूड को उंगली के दबाव से हटाया जा सकता है। 3 सप्ताह का होने पर इसे तेज कैंची की सहायता से सिर के पास से काटा जा सकता है।

VIII. नाखून की कटाई
एक दिन की आयु के बच्चों के नाखून की कटाई की जाती है। पूरे पंजे के नाखूनों की लंबाई सहित इसके अंतर्गत सबसे बाहर वाले पंजे के अंदर की दूरी तक पंजे का सिरा हटा दिया जाता है।

IX.भोजन
भोजन के तरीकों में मिश्रित भोजन (मैश फीडिंग) और टिकिया के रूप भोजन (पैलेट फीडिंग) शामिल हैं।
• चिकेन की तुलना में तुर्कियों की शक्ति, प्रोटीन, विटामिन तथा मिनरल संबंधी आवश्यकताएँ अधिक होती हैं।
• चूंकि नर तथा मादा की शक्ति तथा प्रोटीन आवश्यकताएँ अलग-अलग होती हैं इसलिए बेहतर परिणामों के लिए उन्हें अलग-अलग पाला जाना चाहिए।
• भोजन को संबंधित बरतन में ही दिया जाना चाहिए जमीन पर नहीं।
• जब कभी एक प्रकार के भोजन से दूसरे प्रकार के भोजन की ओर कोई परिवर्तन किया जाता है तो वह धीरे-धीरे किया जाना चाहिए।
• तुर्कियों को हर समय निरतंर और साफ पानी की आपूर्ति करनी चाहिए।
• गर्मी के दिनों में अधिक संख्या में पानी के बरतन उपलब्ध करवाएँ।
• गर्मियों के दौरान तुर्कियों को दिन के ठंडे समय के दौरान ही भोजन दें।
• टांगों में कमजोरी रोकने के लिए प्रतिदिन प्रति पक्षी 30-40 ग्राम की दर से सीप या शंख का चूर्ण दें।
हरे भोजन
गहन प्रणाली में कुल भोजन के 50 प्रतिशत तक सूखे मिश्रण के आधार पर हरे पदार्थों को मिलाया जा सकता है। सभी उम्र के तुर्की के लिए ताजा ल्युसर्न (एक प्रकार का घास जो पशु खाते हैं) उत्तम कोटि का हरा चारा होता है। इसके अलावा भोजन लागत कम करने के लिए डीस्मैन्थस और स्टाइलो को काटकर भी खिलाया जा सकता है।


शरीर का वजन और चारा की खपत
सप्ताह में उम्र औसत शरीर भार (किलो ग्राम) कुल चारा की खपत (किलो ग्राम) सकल चारा क्षमता
नर मादा नर मादा नर मादा
4थे सप्ताह तक 0.72 0.63 0.95 0.81 1.3 1.3
8वें सप्ताह तक 2.36 1.90 3.99 3.49 1.8 1.7
12वें सप्ताह तक 4.72 3.85 11.34 9.25 2.4 2.4
16वें सप्ताह तक 7.26 5.53 19.86 15.69 2.8 2.7
20वें सप्ताह तक 9.62 6.75 28.26 23.13 3.4 2.9




X प्रजनन कार्य
प्राकृतिक प्रजनन
वयस्क नर टोम के सहवास कार्य को स्ट्रट कहा जाता है। इस दौरान यह अपनी पंख फैलाकर बार-बार एक अजीब सी आवाज निकालता है। प्राकृतिक सहवास में मध्यम प्रकार के तुर्कियों के लिए नर और मादा का अनुपात 1:5 होता है और बड़े तुर्कियों के लिए यह अनुपात 1:3 होता है। सामान्यतौर पर प्रत्येक वयस्क मादा से 40-50 बच्चों की उम्मीद की जाती है। उर्वरत्व या प्रजनन कम होने के कारण पहले साल के बाद वयस्क नर का प्रयोग शायद ही किया जाता है। वयस्क नर में यह प्रवृत्ति पायी गई है कि उन्हें किसी खास मादा से ज्यादा लगाव हो जाता है इसलिए हमें प्रत्येक 15 दिनों में वयस्क नर को बदलना पड़ता है।


कृत्रिम गर्भाधान (इनसेमिनेशन)
कृत्रिम शुक्र सेचन का लाभ यह होता है कि पूरी मौसम के दौरान तुर्की के समूहों में उच्च उर्वरत्व या प्रजनन क्षमता बनाये रखा जाए।


वयस्क नर से सिमेन (वीर्य) संचय करना
• वीर्य संचय के लिए टॉम का उम्र 32-36 सप्ताह होना चाहिए।
• वीर्य संचय से करीब 15 दिन पहले टॉम को अलग एकांत में रखना चाहिए।
• टॉम की देखभाल नियमित रूप से की जानी चाहिए और सिमेन प्राप्त करने में 2 मिनट का समय लगता है।
• चूंकि टॉम का देखभाल करना मुश्किल होता है इसलिए एक ही संचालक का प्रयोग अधिकतम वीर्य प्राप्त करने के लिए किया जाना चाहिए।
• औसत वीर्य आयतन 0.15 से 0.30 मिली लीटर होता है।
• वीर्य प्राप्त करने के एक घंटा के अंदर इसका प्रयोग कर लें।
• इसे सप्ताह में तीन बार या एक दिन छोड़कर प्राप्त करें।


मुर्गियों में गर्भाधान (इनसेमिनेशन)
• जब समूह, 8-10% अंडा उत्पादन की क्षमता प्राप्त कर लेती है तो कृत्रिम गर्भाधान किया जाता है।
• प्रत्येक 3 सप्ताह के बाद 0.025-0.050 मिली लीटर शुद्ध वीर्य (अनडाइल्युटेड सिमेन) का प्रयोग कर मादा में गर्भाधान करें।
• मौसम के 12 सप्ताह के बाद प्रत्येक 15 दिनों बाद गर्भाधान करना बेहतर होगा।
• मादा को शाम के 5-6 बजे के बाद गर्भाधान करें।
• 16 सप्ताह के प्रजनन मौसम के बाद औसत ऊर्वरता 80-85% के बीच होनी चाहिए।





XI तुर्की में होनेवाली सामान्य बीमारी
बीमारी कारण लक्षण रोकथाम
एराइजोनोसिस सैल्मोनेला एरिजोना खर्चीला होता है और आँख की धुंधलापन और अंधापन हो सकता है। संभाव्य उम्र 3-4 सप्ताह। संक्रमित नस्ल समूह का हटाना और हैचरी में धूनी और सफाई करनी चाहिए।
ब्लू कॉम्ब बीमारी कोरोना वायरस अवसाद, वजन में कमी, फ्रॉथी या पानी जैसी ड्रॉपिंग, सर और चमड़ो का काला होना। फार्म की तुर्कियों और संदूषण कम करना। उसे आराम का समय दें।
दीर्घकालिक श्वसन बीमारी माइकोप्लाज्मा गैलिसेप्टिकम खाँसी, गर्गलिंग, छींकना, नाक से स्राव माइकोप्लाज्मा मुक्त समूह को सुरक्षित करें।
एरिसाइपेलस एरिसाइपेलोथ्रिक्स रियुसियोपैथाइडि अचानक कमी, फूला हुआ स्नूड, चेहरे के भाग का रंग उड़ना, ड्रापी टीकाकरण
मुर्गी हैजा (फावल कोलेरा) पैस्टुरेला
मल्टोसिडा बैंगनी सिर, हरा पीला ड्रॉपिंग्स, अचानक मृत्यु सफाई और मरे हुए पक्षियों का हटाना
मुर्गी चेचक (फावल पॉक्स) पॉक्स वायरस छोटे कंघी और बाली पर पीला फोड़ा और छाले बनना टीकाकरण
रक्तस्रावी आँत्रशोथ विषाणु एक या एक से अधिक मरे पक्षी टीकाकरण
संक्रामक सिनोवाइटिस माइकोप्लाज्मा गैलिसेप्टिकम बढ़े हॉक्स, पैर पैड, लंगड़ापन, स्तन छाले स्वच्छ भंडार खरीदें।
संक्रामक सिनुसाइटिस जीवाणु नाक से स्राव, फूला हुआ साइनस और खाँसी बीमारी मुक्त नस्ल से बच्चों की रक्षा करें।
माइकोटॉक्सिकोसिस फफूँद की उत्पति रक्तस्राव, पीला, वसा लीवर और किडनी खराब भोजन से बचें।
नवीन घरेलू बीमारी पैरामाइक्सो विषाणु हांफना, घरघराहट, गर्दन का घूमना, पक्षाघात, नरम खोलीदार अंडे टीकाकरण
टाइफ्वॉयड सैल्मोनेला प्युलोरम चूजा में अतिसार रोकथाम और समूह की सफाई
तुर्की कोरिजा बोर्डेटेला एवियम स्निकिंग, रेल्स और नाक से अधिक बलगम का स्राव टीकाकरण
कोक्सिडायोसिस कोक्सिडिया एसपीपी खून दस्त और वजन में कमी उचित स्वच्छता और बच्चे के जन्म का प्रबंधन
तुर्की यौन रोग माइकोप्लाज्मा मेलिएग्रिस प्रजनन क्षमता और बच्चों में कमी सुदृढ़ स्वच्छता


टीकाकरण-सारणी
जन्म के कितने दिन एनडी- बी1 तनाव
4था व 5 वां सप्ताह मुर्गी माता
6ठा सप्ताह एनडी- (आर 2बी)
8 – 10 सप्ताह हैजा का टीका



तुर्की की बिक्री
16वें सप्ताह में वयस्क नर और मादा का वजन 7.26 किलो ग्राम और 5.53 किलो ग्राम हो जाता है। तुर्की का बिक्री करने के लिए यह आदर्श वजन होता है।
तुर्की का अंडा
• तुर्की अपने उम्र के 30 सप्ताह बाद से अंडा देना शुरू करता है। पहली बार अंडा देने के 24 सप्ताह बाद उत्पादन शुरू हो जाता है।
• उचित भोजन और कृत्रिम प्रकाश प्रबंधन के तहत मादा तुर्की वर्षभर में करीब 60-100 अंडा देते हैं।
• लगभग 70 प्रतिशत अंडे दोपहर में दिये जाते हैं।
• तुर्की के अंडे रंगीन होते हैं और इसका वजन करीब 85 ग्राम होता है।
• अंडा एक कोने पर कुछ अधिक नुकीला होता है और इसका आवरण मजबूत होता है।
• तुर्की के अंडा में प्रोटीन, लिपिड, कार्बोहाइड्रेट और खनिज सामग्री क्रमश: 13.1%, 11.8%, 1.7% और 0.8% होता है। प्रति ग्राम जर्दी में 15.67-23.97 मिली ग्राम कॉलेस्ट्रॉल होते हैं।


तुर्की का माँस :
तुर्की के माँस का पतला होने के कारण लोग इसे काफी पसंद करते हैं। तुर्की के माँस के प्रत्येक 100 ग्राम में प्रोटीन, वसा और ऊर्जा मान क्रमश: 24%, 6.6%, 162 कैलोरी होता है। पोटैशियम, कैल्सियम, मैग्नेशियम, लौह पदार्थ, सेलेनियम, जिंक और सोडियम जैसे खनिज भी पाये जाते हैं। यह एमीनो अम्ल और नियासिन, विटामिन बी6 और बी12 जैसे विटामिनों से भी भरपूर होता है। यह असंतृप्त वसा अम्ल और दूसरे आवश्यक वसा अम्ल से भरा होता है तथा कोलेस्टरॉल की मात्रा कम होती है।
एक अध्ययन के अनुसार 24 सप्ताह की आयु और 10-20 किलो ग्राम वजन वाले नर मादा को यदि 300 से 450 रुपये में बेचा जाता है तो इसमें करीब 500 से 600 रुपये का लाभ होता है। इसी तरह एक मादा में 24 सप्ताह की समयावधि में करीब 300 से 400 रुपये का लाभ मिलेगा। इसके अलावा तुर्की को सफाई और अर्ध-सफाई वाले स्थिति में भी पालन किया जा सकता है।

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05:17, 13 जून 2021 के समय का अवतरण

टर्की
Turkey

सामयिक शृंखला: 23–0 मिलियन वर्ष
Early Miocene – Recent
जंगली टर्की (Wild turkey )
वैज्ञानिक वर्गीकरण
जगत: जंतु
संघ: रज्जुकी (Chordata)
वर्ग: पक्षी (Aves)
गण: गैलीफ़ॉर्मेस (Galliformes)
कुल: फेसियेनिडाए (Phasianidae)
उपकुल: मेलेआग्रिडिडाए (Meleagridinae)
वंश: मेलेआग्रिस (Meleagris)
लीनियस, 1758
जातियाँ

टर्की (Turkey) या पेरू (Peru) मेलेआग्रिस वंश का एक बड़े आकार का पक्षी है, जो मूल रूप से उत्तरदक्षिण अमेरिका में पाया जाता था, जहाँ यह सब से बड़े पक्षियों में से एक है। इस वंश में दो जातियाँ पाई जाती हैं: नेत्रांकित टर्की (ocellated turkey) और उत्तर अमेरिका की जंगली टर्की (wild turkey)। दोनों जातियों के नर पक्षियों की चोंच के ऊपर एक उभाड़ टंगा हुआ होता है। मादाओं की तुलना में नर बड़े और अधिक रंगदार होते हैं।[1][2]

नाम[संपादित करें]

जब यूरोपीय उपनिवेशक आरम्भ में उत्तर व दक्षिण अमेरिका पहुँचे, तो पहली बार मूल अमेरिकी आदिवासियों के अलावा किसी ने टर्की पक्षियों को देखा। समझा जाता है कि कुछ उपनिवेशकों ने गलती से इस पक्षी को एक प्रकार की गिनी मुर्गी समझ लिया जो उस काल में तुर्की देश से निर्यात होती थी। इस कारणवश यह उस पक्षी को टर्की बुलाने लगे।[3][4][5]

जब टर्कियाँ विश्व के अन्य भागों में उपलब्ध होने लगी तो कई यूरोपीय देशों में यह भूल थी की अमेरिकी महाद्वीप भारत थे, इसेलिए उन्होंने मान लिया गया कि टर्की भारत (हिन्द, इंडीया) से आई है। इस कारणवश टर्की को रूस में "इंदयुश्का" (indyushka, अर्थ "भारतीय"), पोलैंड और युक्रेन में "इंदयिक" (indyk) और तुर्की में "हिन्दी" बुलाया जाता है।[3] पुर्तगालियों की दृष्टि में टर्की पेरू देश से थी, इसलिए पुर्तगाली भाषा में इसे "पेरू" (peru) कहा जाता है। जब पुर्तगाली उपनिवेशक भारत आए (जहाँ उन्होंने गोवा पर कब्ज़ा करा), तो कुछ भारतीय भाषाओं में भी पुर्तगाली उपनिवेशकों का अनुसरण करते हुए इस पक्षी को "पेरू" कहा जाने लगा।[6]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Amazing Facts About Turkey". OneKind. मूल से 24 दिसंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 December 2015.
  2. "My Life as a Turkey – Domesticated versus Wild Graphic". PBS. मूल से 31 दिसंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 December 2015.
  3. Krulwich, Robert (27 November 2008). "Why A Turkey Is Called A Turkey". NPR. मूल से 11 अप्रैल 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 18 July 2016.
  4. Webster's II New College Dictionary Archived 2019-03-17 at the वेबैक मशीन. Houghton Mifflin Harcourt 2005, ISBN 978-0-618-39601-6, p. 1217
  5. Smith, Andrew F. (2006) The Turkey: An American Story. University of Illinois Press. ISBN 978-0-252-03163-2. p. 17
  6. Dicionário Priberam da Lingua Portuguesa, "peru".