प्रति व्यक्ति आय

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सन् 2018 में भिन्न देशों की प्रति व्यक्ति आय

प्रति व्यक्ति आय (Per capita income) किसी देश, राज्य, नगर, या अन्य क्षेत्र में रहने वाले व्यक्तियों की औसत आय होती है। इसका अनुमान उस क्षेत्र में रहने वाले सभी लोगों की आय के जोड़ को क्षेत्र की कुल जनसंख्या से विभाजित कर के लगाया जाता है। प्रति व्यक्ति आय विभिन्न देशों के अलग-अलग जीवन स्तर का एक महत्वपूर्ण सूचकांक होती है। यह मानव विकास सूचकांक में सम्मिलित तीन संख्याओं में से एक है। अनौपचारिक बोलचाल में प्रति व्यक्ति आय को औसत आय (average income) भी कहा जाता है और आमतौर पर अगर एक राष्ट्र की औसत आय किसी दूसरे राष्ट्र से अधिक हो, तो पहला राष्ट्र दूसरे से अधिक समृद्ध और सम्पन्न माना जाता है।[1]

सूचियाँ[स्रोत सम्पादित करें]

चित्र:Singapore during the formation of Malaysia (16 September 1963).jpg
सिंगापुर की प्रति व्यक्ति आय सन् 2020 तक 58,484 अमेरिकी डॉलर पहुँच गई, जो उसके भूतपूर्व उपनिवेशी स्वामी, ब्रिटेन, के 39,229 अमेरिकी डॉलर के स्तर से कहीं अधिक थी। इसका श्रेय सिंगापुर के प्रथम प्रधान मंत्री, ली कुआन यू, की मुक्त बाज़ार नीतियों को दिया जाता है। इसके विपरीत, भारत ने नियंत्रित बाज़ार की नीतियाँ अपनाई और उसकी सन् 2020 की प्रति व्यक्ति आय 1,877 अमेरिकी डॉलर थी।

कई अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ वार्षिक रूप से विश्वभर के देशों की प्रति व्यक्ति आय की सूचियाँ बनाती हैं। यह सूचियाँ दो आधारों पर बनाई जाती हैं:[2]

  • अभारित सूची (Nominal) - यह सरल सूचियाँ सीधे कमाई जाने वाली मुद्रा में आय को लेकर अभारित रूप से (यानि बिना किसी फेर-बदल के) बनाई जाती है और अधिकतर इन्हीं सूचियों का प्रयोग होता है।
  • क्रय-शक्ति समता पर आधारित सूची (PPP) - यह सूचिया क्रय-शक्ति समता के आधार पर बनती हैं और इनसे यह अंदाज़ा लगाया जाता है कि किसी क्षेत्र में लोग अपनी आय से कितना खरीद सकते हैं, जो भिन्न माल और सेवाओं की स्थानीय कीमतों पर निर्भर करता है।

संपत्ति के मापन में प्रति व्यक्ति आय[स्रोत सम्पादित करें]

प्रति व्यक्ति आय का उपयोग किसी एक देश के लोगों की संपत्ति का अनुमान लगाने के लिए किया जाता है, किसी अन्य देश की तुलना में। आमतौर पर यह किसी सर्वमान्य अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा जैसे यूरो या डॉलर में मापा जाता है। लेकिन इस मापन प्रणाली में एक खोट भी है। वह यह की यह किसी देश की केवल मौद्रिक संपति को ही उस देश के लोगों में बाँटता है और अन्य आर्थिक गतिविधियों को माप में नहीं लेता। हो सकता है की किसी देश विशेष की प्रति व्यक्ति आय मौद्रिक संदर्भ में तो कम हो लेकिन उस देश में होने वाली आर्थिक गतिविधियों का मौद्रिक मुल्य कहीं अधिक हो। इसलिए इसे किसी देश के विकास का एकमात्र पैमाना माना जा सकता।

इन्हें भी देखें[स्रोत सम्पादित करें]

सन्दर्भ[स्रोत सम्पादित करें]

  1. "GDP: A Brief But Affectionate History," Diane Coyle, Princeton University Press, 2015, ISBN 9781400873630
  2. "Macroeconomics: Theory and Applications," GS Gupta, Tata McGraw Hill, 2004, ISBN 9780070585942, ... Its annual magnitude divided by the nation's population, called the per capita income, is used as a measure of the standard of living of the people ...